Ek Nazar

Related Posts with Thumbnails

Monday, March 15, 2010

जब लताजी ने फ़ोन पर सुनाया 'रसिक बलमा'


मेलोडी किंग शंकर जयकिशन ने 150 से ज्यादा फिल्मों में संगीत दिया. इनमें से अधिकतर फ़िल्में अपने गीतों और संगीत के बूते चलीं.
राज कपूर, शैलेन्द्र और शंकर जयकिशन की तिकड़ी ने हिंदी फिल्म सिनेमा में बहुत ही उम्दा काम किया है. 1956 में आये थी फिल्म 'चोरी-चोरी'. यूं तो इस फिल्म के सभी गाने काफी लोकप्रिय हुए थे, लेकिन एक खास गीत की मैं यहाँ चर्चा करूंगा. लताजी का गाया यह गीत लोग आज भी पूरी शिद्दत से सुनते हैं. 'रसिक बलमा, दिल क्यों लगाया, तोसे दिल क्यों लगाया.'
प्रसिद्ध फिल्म निर्माता-निर्देशक महबूब खान को यह गाना बहुत पसंद था. बात उस समय की हैं जब महबूब खान इलाज के लिए लॉस एंजिल्स में थे. बीमारी के दौरान एकाएक उन्हें यह गाना सुनने की इच्छा हुई. पहले तो लॉस एंजिल्स में ही इसका रिकॉर्ड ढूँढा गया लेकिन नहीं मिल सका. थक हार कर खान साहब ने लताजी को फ़ोन घुमाया और फ़ोन पर ही गाना सुनाने की फरमाइश कर दी. मेहबूबजी की बातें सुनकर लताजी सकपका गयीं. लेकिन मेहबूबजी के निवेदन को वें टाल नहीं सकीं. और फोन पर ही सुना दिया रसिक बलमा.
और यह सिलसिला कई दिनों तक चलता रहा. जब भी महबूब जी को गाना सुनाने की इच्छा होती वे लताजी को फ़ोन लगा देते और सुनते रसिक बलमा.


(यू टयूब की लिंक यहाँ है. बुफफ़रिंग हो जाने दें और सुने.)

रसिक बलमा.... दिल क्यों लगाया
तोसे दिल क्यों लगाया.
जैसे रो दिल लगाया.
रसिक बलमा..........

जब याद आये तिहारी
सूरत वो प्यारी-प्यारी
नेहा लगाके हारी
तड़प मैं गम की मारी
रसिक बलमा..........

ढूंढें है पागल नैना
पाए न इक पल चैना
दस्ती है उजली रेंना
का से कहूँ मैं बहना
रसिक बलमा..........

3 comments:

  1. mayu ji
    ati uttam
    is sansmarn ko pesh kar ke aapane badaa kam kiyaa hai

    ReplyDelete
  2. anmol yaaden hi reh jaati hai.....


    kunwar ji,

    ReplyDelete
  3. Lataji to na bhooto na bhavishyati hain!

    ReplyDelete