Ek Nazar

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Tuesday, April 27, 2010

शंकर: एक महान संगीतकार भाग एक



अभी 26 अप्रैल को शंकर की पुण्यतिथि थी। जयकिशन के साथ उनकी जोड़ी को सबसे कामयाब संगीतकार माना जाता है। शंकर जयकिशन ने 50 और 60 के दशक में एक से बढ़कर एक कालजयी धुनें दीं। लेकिन एक वक्त ऐसा भी आया जब इस जोड़ी में टकराव हो गया। शंकर और जयकिशन ने एक दूसरे से वादा किया था कि वे कभी किसी को नहीं बताएंगे कि कौन सी धुन किसने बनाई है। लेकिन एक बार जयकिशन अपना वादा भूल गए और उन्होंने एक पार्टी में बता दिया कि संगम फिल्म का गाना 'ये मेरा प्रेम पत्र पढ़कर कि तुम नाराज मत होना" की धुन उन्होंने तैयार की है। शंकर को यह बात काफी नगवारा गुजरी। उन्होंने जयकिशन के विरोध के बावजूद लताजी के बजाए शारदा को प्लेबैक के लिए लेना शुरू कर दिया। इन सबके बाद दोनों के बीच की दूरियां और बढ़ती गईं। हालांकि रफी साहब ने इसे अपने स्तर पर कम करने की कोशिश की लेकिन वह पूरी तरह सफल नहीं हो सके।
शंकर सिंह रघुवंशी का जन्म 15 अक्टूबर 1922 कोपंजाब में हुआ था। शुरू से उनके मन में संगीतकार बनने का ख्वाब हिलोरे मार रहा था। इसलिए संगीत की तालिम लेने के बाद वेआरंभिक शिक्षा लेने के बाद एक थियेटर कंपनी में संगीत देना शुरू किया। शंकर बहुत बढ़िया तबलची थे। इसलिए उन्हें पृथ्वी थियेटर में नौकरी भी मिल गई। एक दिन उस समय के प्रसिद्ध निर्माता के पास शंकर गए थे जहां पर जयकिशन भी आए थे। जयकिशन की तमन्नाा हीरो बनने की थी। शंकर की सलाह पर जयकिशन ने भी पृथ्वी थियेटर ज्वाइन किया और उन्हें हारमोनियम बजाने का काम मिल गया।
वक्त गुजरता गया और दोनों ने प्रसिद्ध संगीतकार राम गांगुली के सहायक के रूप में काम करने शुरू कर दिया। उसी समय राज कपूर अपनी फिल्म बरसात बना रहे थे। किसी कारण राज कपूर और राम गांगुली में अनबन हो गयी और राजजी ने शंकर जयकिशन को स्वतंत्र रूप से अपनी फिल्म में पहली बार ब्रेक दिया। बरसात फिल्म तो हिट हुई ही साथ ही साथ उसके गानों ने इस नौजवान संगीतकार जोड़ी को रातों-रात स्टार बना दिया।
क्रमश:

फोटो THE HINDU से साभार

4 comments:

  1. वाह! मयूर जी, शंकर जी की याद दिलाने के लिए बहुत बहुत आभार!!


    आपका छोटा भाई

    "रामकृष्ण"

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  2. अनमोल जानकारी , शुक्रिया

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  3. बेहतरीन... ऐसा लगा जैसे मुलाकात हो गयी हो...

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  4. Uf! Kahan Lataji aur kahan sharda...kaash yahi geet Lataji ne gaye hote..is kaash ko badla nahi ja sakta!

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