Ek Nazar

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Friday, June 18, 2010

मणिरत्नम कृत रामायण यानि रावण

मणिरत्नम की रावण जब बन रही थी उसी समय से इसके बारे में दो तरह की चर्चाएं थी। पहली तो ये फिल्म रामायण से प्रेरित है। दूसरी ये कि फिल्म नक्सलवाद पर आधारित है। ख़ैर आम आदमी को इससे कोई मतलब नहीं है कि फिल्म की थीम क्या है? वे बस अभिषेक, ऐश की जोड़ी को देखने थियेटर में घुसे होंगे। यह एक संयोग ही है कि महाभारत पर बनी 'राजनीति" के दो हफ्तों बाद रामायण की पृष्ठभूमि पर आधारित फिल्म रिलीज हुई है।
फिल्म का मूल प्लॉट रामायण से प्रेरित है। अब रामायण की कहानी बताने की जरुरत तो नहीं है। सीता हरण से लंका विजय तक की कहानी है फिल्म 'रावण"। फर्क इतना है कि बीरा (अभिषेक) के चंगुल में फंसी रागिनी (ऐश्वर्या) के मरने की तारीख अपहरण के 14 दिन बाद मुकर्रर करता है। इन्हीं 14 दिनों की कहानी है यह फिल्म। इसलिए स्टोरी पर चर्चा नहीं ही करनी चाहिए।



कोई माने या ना माने फिल्म देखते रामायण के सारे पात्र याद आ जाते है।
विक्रम (पुलिस अफसर) राम
ऐश्वर्या राय (पुलिस अफसर की पत्नी) सीता
गोविंदा (फारेस्ट ऑफिसर) हनुमान जैसा...
अभिषेक बच्चन (बीरा) रावण
प्रियामणि (बीरा की बहन) सुरपनखा
लीक से हटकर कहानी, हैरतअंगेज कर देने वाले स्टंट, खूबसूरत लोकेशंस रावण को आम बालीवुड फिल्मों से अलग बनाती है। हालांकि यह मणिरत्नम की अन्य फिल्मों रोजा, बॉम्बे, युवा और गुरु के टक्कर की नहीं है। फिल्म का पहला भाग बोझिल है। बहुत सा समय पात्रों का समय देने में निकल जाता है। कहानी जब फ्लैश बैक में जाती तो थोड़े समय के लिए दिमाग घूम जाता है। 'युवा" जिन्होंने देखी होगी वे इसके शुरू के 20-25 मिनट में ही पूरी फिल्म की थीम समझ जाते हैं। लेकिन रावण इंटरवल तक समझ नहीं आती है जबकि आपको यह पता है कि फिल्म का प्लाट रामायण से लिया गया है। आप यही सोचते रहेंगे फिल्म नक्सलवाद पर आधारित होगी। दूसरे हाफ में फिल्म अपने ट्रैक पर वापस आ जाती है।
फिल्म के पात्र भी अजीब से है। जैसे बीरा का चरित्र तुनकमिजाज साइको व्यक्ति जैसा है। रागिनी बीरा से सहानुभूति रखती है। यह भी हजम नहीं होता। रागिनी के पति देव प्रताप सिंह शुरू से खलनायक लगते है। शादी में फायरिंग और तमाम चीजें गले से नहीं उतरती।
अब बात अदाकारी की तो...यह ऐश्वर्या की अदाकारी के लिए याद रखी जाएगी। शायद जोधा के रोल के बाद इसी फिल्म उन्होंने खूब मेहनत की है। अभिषेक साधारण रहे हैं गुरु वाली बात भी नहीं। गोविंदा ने इतना छोटा रोल क्यों स्वीकारा समझ नहीं है। ब्रिकम का अभिनय भी शानदार है। रवि किशन ने अपने चरित्र से पूरा इंसाफ किया है।
'रावण" की लोकेशन, सिनेमैटोग्रॉफी और स्टंट सीन कमाल के हैं। घने जंगल, ऊंचे-ऊंचे पहाड़, झरने नदिया, बोट्स ये सब परदे पर रोमांच पैदा करने के लिए काफी हैं। ऊपर से संतोष सिवान के शॉट्स जिसमें डेफ्थ ऑफ फील्ड की कलाकारी की बात ही निराली है।

Wednesday, June 16, 2010

भीगा तन, भीगा मन

हिंदी फिल्मों में बरसात के सुपरहिट गीतों की श्रृंखला
भाग एक


फिल्म 'बरसात" के सुपरहिट गीत 'बरसात में तुमसे मिल हम सजन बरसात में तक धिना" से 'ऑन द रूफ इन रेन" तक फिल्मों में बरसात आधारित गीतों का अहम रोल रहा है। कुछ गाने ऐसे भी हैं जिनमें बारिश का जिक्र तो नहीं है लेकिन नायिका को जमकर बारिश में भिगोया है। यश राज की फिल्मों में बारिश तो सबसे अहम चीज है। इन दिनों मानसून लगभग पूरे देश में छाया है जहां पानी नहीं बरस रहा है वहां लोग टकटकी लगाए उसका इंतजार कर रहे हैं। आइए आज मानसूनी गीतों की चर्चा हो जाए।

प्यार हुआ इकरार हुआ
श्री 420 का यह गाना अब तक सर्वश्रेष्ठ रेन सॉन्ग है। नरगिस और राजकपूर एक छतरी के नीचे, मुसलाधार बारिश। चाय वाले की केटली से निकलती भाप। वाह क्या सीन है। जैसा गाना है वैसा ही संगीत। एक दम फुहारों जैसा। शैलेंद्र के बोल और शंकर जयकिशन की धुन ने वाकई जादू कर दिया है। 'मैं ना रहूंगी तुम ना रहोगे फिर भी रहेगी निशानियां....."। तभी कैमरे का एंगल चेंज होता है और तीन नन्हें बच्चों को रेनकोट में दिखाया जाता है। जो कपूर खानदान के ही चिराग हैं।



इक लड़की भीगी भागी सी
चलती का नाम गाड़ी का यह गाना भी वाकई अद्भुत है। किशोर कुमार और मधुबाला की कैमिस्ट्री भी गजब है। भीगी साड़ी मंे मधुबाला को देखकर किशोर दा का गाना गाना। मधुबाला की बिगड़ी कार की मरम्मत करना तो कभी उन्हें छुपकर निहारना। मजरूह साहब के शब्दों को सचिन दा बखूबी धुन में पिरोया है।


एक लड़की भीगी भागी सी
सोती रातों में जागी सी
मिली इक अजनबी से
कोई आगे ना पीछे
तुम ही कहो ये कोई बात है...।

दिल ही दिल में जली जाती है बिगड़ी बिगड़ी चली आती है
झूंझलाती हुई बलखाती हुई, सावन की सुनी रातों में।।

डगमग डगमग लहकी लहकी, भूली भटकी बहकी बहकी
मचली मचली घर से निकली, पगली सी काली रात में।।

तन भीगा है, सर गीला है उसका कोई पेंच भी ढीला है
तनती झुकती चलती रुकती निकली अंधेरी रात में।।

क्रमश: