Ek Nazar

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Wednesday, August 11, 2010

टोटकों और अंधविश्वास से भरी फिल्मी दुनिया

फिल्मी दुनिया वाले अक्सर यह दावा करते हैं कि वे धर्म और जाति से ऊपर हैं। वे अपने आप को कितना भी मार्डन कह लें लेकिन एक आम से ज्यादा वहमी और अंध विश्वासी होते हैं। तभी तो मुहूर्त शॉट से लेकर फिल्म की रिलीजिंग तक वे सारे टोटके अपनाते हैं जो उनके करोड़ों रुपयों और स्टारडम को बचा सके। इसमें किसी खास अक्षर से लगाव, या फिर किसी खास लोकेशन पर उनका ध्यान रहता है। हिंदी फिल्म उद्योग के कई निर्माता-निर्देशक यदि किसी अक्षर विशेष से प्यार करने लगते हैं तो उसे फिर पूरा निभाते हैं। अक्षर विशेष से उनका प्रेम कभी उनकी फिल्मों के टाइटल तो कभी अभिनेता- अभिनेत्रियों के नामों से परिलक्षित होता रहा है।
जाने माने निर्माता राकेश रौशन को 'के" अक्षर से विशेष प्रेम है। वह अपनी फिल्मों की कामयाबी के लिए 'के" से शुरू होने वाले टाइटलों को हमेशा शुभ मानते आए हैं। 21 मई को प्रदर्शित हुई फिल्म काइट्स में उन्होंने एक बार फिर से टाइटल की शुरूआत 'के" अक्षर से की है। राकेश रौशन इससे पहले भी के अक्षर को अपनी फिल्म के लिए लकी मानते आए है। उन्होंने 'कामचोर", 'खुदगर्ज", 'खून भरी मांग", 'काला बाजार", 'किशन कन्हैया" 'कोयला", 'करन अर्जुन", 'कहो ना प्यार है", 'कोई मिल गया" और 'क्रिश" जैसी के अक्षर से शुरू होने वाली कई सुपरहिट फिल्में बनाई है।
राकेश रौशन की तरह करण जौहर भी फिल्मों के टाइटल के लिए 'क" अक्षर का ही इस्तेमाल करते आए हैं। बतौर निर्माता निर्देशक करण ने 'कुछ कुछ होता है", 'कभी खुशी कभी गम", 'काल", 'कल हो न हो" 'कभी अलविदा ना कहना" और 'कुर्बान" जैसी के अक्षर वाली एक से बढ़कर एक ब्लॉकबस्टर फिल्में बनाई हैं। करण जौहर की बनाई फिल्मों में नायिकायें भी अक्सर 'क" अक्षर वाली ही रहती हैं। उदाहरण के तौर पर 'कुछ कुछ होता है" में काजोल कभी खुशी कभी गम में करीना कपूर और काजोल ने अभिनय किया है। फिल्म 'कल हो न हो" में काजोल ने मेहमान भूमिका निभाई थी। करण जौहर की तरह ही फिल्म निर्मात्री एकता कपूर के लिए 'क" अक्षर लकी रहा है। उनके बनाए गए टीवी सीरियल क अक्षर से ही शुरू होते हैं जिनमें 'कहानी घर घर" की 'क्योंकि सास भी कभी बहू थी", 'कहीं तो होगा", 'के स्ट्रीट पाली हिल", 'कभी तो मिलेंगे", 'कोई अपना सा", 'कुसुम", 'कुटुम्ब" 'कसौटी जिंदगी की", 'केसर", 'कैसा ए प्यार है", 'कुमकुम" और 'किसी रोज" जैसे उनके टेलीविजन सीरियल काफी लोकप्रिय रहे हैं।
फिल्म इंडस्ट्री में शो मैन सुभाष घई 'म" अक्षर वाली अभिनेत्रियों को अपनी फिल्म के लिए शुभ मानते रहे है। सुभाष घई फिल्म 'हीरो" तथा 'मेरी जंग" में मीनाक्षी शेषाद्रि, 'रामलखन" तथा 'खलनायक" में माधुरी दीक्षित, 'परदेस" में महिमा चौधरी तथा सौदागर में मनीषा कोइराला को ले चुके हैं। इतना ही नहीं उनके बैनर का नाम भी 'म" से ही मुक्ता आर्ट्स है।
सुभाष घई की तरह ही राजकुमार संतोषी भी 'म" अक्षर वाली अभिनेत्रियों को अपनी फिल्म के लिए शुभ मानते हैं। उनकी बनाई फिल्म 'घायल" में मीनाक्षी शेषाद्रि और मौसमी चटर्जी तथा 'दामिनी" में मीनाक्षी शेषाद्रि ने काम किया है। फिल्म 'लज्जा" में तो उन्होंने 'म" अक्षर वाली तीन अभिनेत्रियों महिमा चौधरी, मनीषा कोइराला और माधुरी दीक्षित का अभिनय प्रस्तुत किया। फिल्म 'चाइना गेट" और घातक में अभिनेत्री ममता कुलकर्णी ने राजकुमार संतोषी के निर्देशन में काम किया।
निर्माता-निर्देशक सावन कुमार को 'स" अक्षर से विशेष लगाव है। इसके पहले भी वह अपनी कई फिल्मों के नाम में 'स" अक्षर काइस्तेमाल कर चुके है। इनमें 'साजन बिना सुहागन", 'साजन की सहेली",'सौतन", 'सौतन की बेटी", और 'सनम बेवफा" जैसी फिल्में शामिल है जिन्होंने बाक्स आफिस पर अच्छी खासी कमाई की और कामयाब रहीं।
प्रसिद्ध निर्माता-निर्देशक जेओम प्रकाश का 'अ" अक्षर का प्रेम किसी से छुपा नहीं है। उन्होंने सर्वप्रथम 1961 में 'अ" अक्षर से 'आस का पंछी" फिल्म बनाई थी जिसके हिट होने के बाद उन्हें 'अ" अक्षर से लगाव हो गया। इसके बाद उनकी लगभग सभी फिल्में 'अ" अक्षर वालीरही। इनमें 'आपकी कसम", 'आक्रमण" 'अपनापन", 'आशिक हूं बहारों का" 'आशा", 'अर्पण", 'आखिर क्या" आंखों 'आंखांे में" और 'आन मिलो सजना" उल्लेखनीय हैं। रमेश शिप्पी को एस अक्षर से विशेष प्रेम रहा है। उन्होंने सीता और गीता, शोले, शान, शक्ति और सागर जैसी कई फिल्मों का निर्माण किया। इनमें शोले ने कई कीर्तिमान बनाए और अन्य फिल्मों ने भी शानदार बिजनेस किया।
प्रसिद्ध निर्देशक कल्पतरूअपनी फिल्मों के नाम में घर शब्द का इस्तेमाल करते आए है। इनमें उनकी घर द्वार, घर का सुख, घर-घर की कहानी, बड़े घर की बेटी, अपना घर, घर हो तो ऐसा, घर की लाज और घर की इज्जत, जैसी 'घर" शब्द वाली कुछ फिल्में है।
प्रसिद्ध फिल्म निर्देशक इंद्र कुमार को भी एक खास पेड़ से लगाव है। जो उनकी सभी फिल्मों के गानों मंे दिखाई देता है। 'दिल" फिल्म के प्रसिद्ध गीत 'मुझे नींद ना आए नींद ना आए" में यह सूखा पेड़ दिखाई देता है।