कई मायनों पर में यह अल्बम खास है क्योंकि इसकी रिकॉर्डिंग दोनों देशों में हुई है। अपने हिस्से के गीत मेहंदी हसन ने पाकिस्तान में गाए और लताजी ने अपने हिस्से के गीत हिंदुस्तान में। आज लताजी के जन्मदिन पर उनके जीवन के कुछ अनछुए पहलुओं पर नजर डालते हैं।

लताजी ने शुरुआती दिनों में मराठी फिल्मों में काम किया। पहली मंगलागौर उनकी पहली फिल्म थी। इसके अलावा आनंदघन नाम से कुछेक फिल्मों में उन्होंने गीत भी कंपोज किए।
लताजी को साइकिल चलाना बेहद पसंद था। लेकिन वे कभी इसके खरीद नहीं पाईं। उन्होंने पहली कार 8000 रुपयों में खरीदी थीं। आज वे यश चोपड़ा की गिफ्ट की हुई कारण मर्सीडिज में चलतीं हैं।
उन्हें बॉन्ड सीरीज की हॉलीवुड की फिल्में बेहद पसंद हैं। हिंदी फिल्मों में त्रिशूल, मधूमती, दिलवाले दुल्हनियां ले जाएंगे, शोले, सीता और गीता, बेहद पसंद है। किस्मत (अशोक कुमार) उन्होंने 50 बार देखी है।
लताजी को घर में केवल केएल सहगल के गीत गाने की इजाजत थी। क्योंकि लताजी के पिता को शााीय संगीत से बेहद प्यार था। एक बार उन्होंने रेडिओ खरीदा और जैसे उसे शुरू किया उस पर खबर आई कि सहगल साहब नहीं रहे। इतना सुनते ही उन्होंने रेडिओ वापस कर दिया।
हेमंत कुमार के साथ गीत गाते समय लताजी को खासी परेशानी होती थी। क्योंकि उस जमाने में गायकों को एक ही माइक्रोफोन से काम चलाना पड़ता था। हेमंत कुमार काफी लंबे थे। इसलिए लताजी को एक स्टूल रख उस पर खड़े होकर गाना गाना पड़ता था।
लताजी को तीखा-मसालेदार खाना बेहद पसंद है। कहा जाता है कि एक बार में वे 10-12 हरी मिर्च खा जाती थीं।
एक बार किशोर कुमार ने उनका मुंबई की लोकल ट्रेन में काफी पीछा किया। और यह सिलसिला रिकॉर्डिंग स्टुडिओ तक चला। उस लताजी और किशोर दा पहला डुएट गाना गाया।
लताजी को आज भी इस बात का मलाल है कि वे सहगलजी के साथ कभी नहीं गा सकीं और दिलीप कुमार को अपनी आवाज नहीं दे सकीं। एक बार लताजी के बारे में दिलीप कुमार ने कहा था कि लता यानि महाराष्ट्रीयन ये उर्दु कैसे गाएगी। इनके बोल से दाल-भात की बू आएगी। उसी दिन से लताजी ने उर्दु की कोचिंग शुरू कर दी।
लताजी रिकॉर्डिंग रुम में जाने से पहले चप्पलें बाहर ही उतार देती हैं। मधुबाला लताजी के इस कदर दीवानी थीं कि वे अपने कॉन्ट्रैक्ट में लिखवाती थीं कि मेरे सारे गाने लता ही गाएंगी।
क्रमश: