Ek Nazar

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Tuesday, October 26, 2010

फिल्मी गीतों के दर्पण में करवा चौथ का सुंदर रूप

फिल्मी गीतों के दर्पण में सुहाग के प्रति प्रेम एवं समर्पण के प्रतीक करवा चौथ पर्व का सुंदर रूप जब-तब दिखाई देता रहता है । कई फिल्मकारों ने करवा चौथ के गीतों के जरिए नायक, नायिका की प्रेमाभिव्यक्ति को रपहले परदे पर उतारा है। करवा चौथ के सामयिक गीतों की विशेषता यह रही है कि इनका फिल्मांकन बेहद प्रभावी ढंग से किया गया है। कई नई पुरानी फिल्मों में शामिल ये गीत काफी हिट रहे हैं। करवा चौथ के ज्यादातर गीतों में पति-पत्नी के किरदारों को अभिनीत करते नायक, नायिका अपनी मोहब्बत का इजहार करते हुए एक-दूसरे की हमेशा सलामती की दुआ मांगते नजर आते हैं जबकि कुछ गीतों में विरह की व्याकुलता को दर्शाया गया है।
कुछेक पुरानी फिल्मों में करवा चौथ के गीतों को बेहद सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया गया है। ऐसी प्रस्तुति आज भी कुछ फिल्म निर्माता यदा-कदा अपनी फिल्मों में दे रहे हैं। साठ-सत्तर के दशक के बीच एक फिल्म 'सुहागरात" आई थी, जिसमें एक गीत 'गंगा मैया में जब तक कि पानी रहे. मेरे सजना तेरी जिंदगानी रहे" में करवा चौथ की महत्ता को प्रदर्शित कियागया था। 'सुहागरात" को ही घर छोड़कर कहीं चले गए पति के प्रति पत्नी का विश्वास एवं समर्पण भाव और भारतीय नारी की एकनिष्ठता की छवि इस गीत में नजर आती है। भारतीय समाज में पारम्परिक विवाह के साथ ही गंधर्व विवाह भीअपना एक अलग वजूद रखता है। दक्षिण भारत की हिन्दी फिल्म के रीमेक 'मांग भरो सजना" ऐसे ही विषय से प्रेरित थी। फिल्म के नायक का नायिका से पारम्परिक विवाह होता है जबकि उसका पहले ही किसी अन्य महिला से परिस्थितिजन्य गंधर्व विवाह हो चुका रहता है। एक पति के प्रति दोनों पत्नियों का एक जैसा प्रेम एवं समर्पण करवाचौथ के इस गीत 'दीपक मेरे सुहाग का जलता रहे, कभी चांद, कभी सूरज बनके निकलता रहे" में दिखाई देता है। अपने समय का यहसुपरहिट गीत आज भी करवा चौथ के मौके पर सुनाई दे जाता है।
हिन्दू सामाजिक मान्यता के अनुसार करवा चौथ का व्रत पति या भावी पति के लिए रखा जाता है। आदित्य चोपड़ा की फिल्म 'दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे" नायिका भावी पति के बजाय अपने प्रेमी की छवि दिल में संजोए रखती है और करवा चौथ का व्रत भी वह भावी पति के बजाय प्रेमी का चेहरा देखकर ही तोड़ती है। नए निर्माता-निर्देशकों ने भी अपनी पारिवारिक फिल्मों के गीतों में करवा चौथ को सामयिक संदर्भों में स्थान दिया है। चाहे वह करन जौहर की 'कभी खुशी कभी गम" हो या फिर संजय लीला भंसाली की 'हम दिल दे चुके सनम हो" इन फिल्मों में करवा चौथ के दौरान पुरानी पीढ़ी के किरदारों के साथ ही नई पीढी की नायिकाएं अपने नायक के प्रेम की अठखेलियां करती नजर आती हैं। 'हम दिल दे चुके सनम" में करवा चौथ के चांद को इंगित करके नायक 'चांद छुपा बादल में शरमा के मेरी जानां सीने से लग जाना तू" गीत में नायिका से अपनी मोहब्बत का इजहार करता है।

आम धारणा है कि पत्नी अपने पति के लिए करवा चौथ का व्रतरखती है लेकिन बदलते दौर में बहुत से पति भी इस दिन उपवास रखकर पत्नी का साथ देते हैं। निर्माता-निर्देशक रवि चोपडा की फिल्म 'बागबां" में केंद्रीय किरदार अमिताभ बच्चन और हेमा मालिनी करवा चौथ का व्रत रखते हैं। इस मौके पर परिस्थितिजन्य दोनों अलग-अलग रहते हैं लेकिन टेलीफोन पर वार्तालाप के जरिए अपनीविरह वेदना व्यक्त करते हैं। इस फिल्म ने ऐसी छाप छोड़ी है कि निजी जीवन में भी बहुत से पति करवा चौथ का व्रत रखने लगे हैं।