Ek Nazar

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Thursday, April 15, 2010

श्मशाद बेगम: आवाज जैसे मंदिर की घंटी


अपनी पुरकशिश आवाज से हिंदी फिल्म संगीत पर छाप छोड़ने वाली श्मशाद बेगम के गीतों में एक अलग मस्ती, रवानगी, और अल्लहड़पन नजर आता है। झरना जैसा अविरल बहता है वैसी ही श्मशाद बेगम की आवाज है। करीब चार दशक तक फिल्मी दुनिया पर राज करने वाली श्मशाद के आज भी उतने ही लोकप्रिय हैं क्योंकि उनके गाये गीतों के धड़धड़ा रिमिक्स हो रहे हैं।
मैंने हाल ही में किसी हिंदी वेबसाइट पर पढ़ा कि श्मशाद बेगम के बारे में प्रसिद्ध संगीतकार ओपी नैयर ने कहा था 'श्मशाद जी की आवाज ऐसे मंदिर की घंटी की तरह स्पष्ट और सुमधुर है। 14 अप्रैल 1919 को अमृतसर में जन्मी श्मशाद बेगम कुंदनलाल सहगल की बड़ी फैन थीं। और इस चक्कर में उन्होंने देवदास 14 बार देखी। बेगम ने ऑल इंडिया रेडियो के लिए गीत गाए। इसी दौरान प्रसिद्ध सारंगी वादक उस्ताद बक्शवाले साहेब भी उनकी आवाज के कायल हो गये। लाहौर के संगीतकार गुलाम हैदर उनकी आवाज का इस्तेमाल कुछेक फिल्मों में किया। जब गुलाम हैदर अपने ऑरकेस्ट्रा के साथ बंबई (अब मुंबई) आए तो वे श्मशाद को भी साथ ले आए। नौशाद, ओपी नैयर, सी रामचंद्र के स्वरबद्ध किए गीतों ने श्मशादजी को एक मुकाम पर पहुंचा दिया।
श्मशादजी की आवाज उस दौर की सभी गायिकाओं से एकदम अलग थी। उनकी आवाज में वजन था जो किसी महिला गायिका में नहीं था। उस दौर में जहां, लताजी, आशाजी, गीता दत्त और अमीरबाई का जलवा था उसी दौरान में श्मशाद जी ने अलग गायिकी से लोगों का दिल जीत लिया। फिल्म सीआईडी में 'बूझ मेरा क्या नाम रे" जैसा लोकधुन पर आधारित गीत गाने वाली श्मशादजी ने जब सी रामचंद्र के संगीत निर्देशन में 'आने मेरी जान संडे के संडे" जैसा पाश्चात्य किस्म का गीत गाया तो सुनने वाले वाह वाह कह उठे। करीब चार दशक तक अपने गीतों का जादू बिखेरनी वाली श्मशादबेगम ने धीरे-धीरे पार्श्व गायन से विदाई ले ली। लेकिन उनके गाये गीत आज भी काफी लोकप्रिय हैं।

उनके गाये कुछ हिट गीत

1) बूझ मेरा क्या नाम रे नदी....
2) लेके पहला-पहला प्यार...
3) मिलते ही आंखें दिल हुआ
4) कभी आर-पार कभी लागा
5) ओ गाड़ीवाले गाड़ी धीरे हांक
6) होली आई के कन्हाई
7) तेरी महफिल में किस्मत
8) छोड़ बाबुल का घर
9) मेरे पिया गये रंगून

9 comments:

  1. शमशाद बेगम की आवाज का तो कहना ही क्या!!

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  2. ओ पी नैयर साहबने विविध भारती की श्रृंख़ला उजाले उनकी यादों के कार्यक्रममें कुछ इसी मतलबका विधान किया था ।सुंदर जानकारी ।

    पियुष महेता ।
    सुरत ।

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  3. अरे वाह मयूर साहब, आपका ब्लॉग तो बडा ही अच्छा है । शमशाद जी के कुछ गाने तो जबरदस्त हैं जैसे कभी तनहाइयों में यूं हमारी याद आयेगी । मेरे ब्लॉग पर आने का और सराहने का शुक्रिया ।

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  4. मयूर भाई आपका ब्लॉग बहुत पसंद आया.
    शमशाद जी के गाने वाकई जादू कर देते हैं.

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  5. kya yaar kabhi to naye gaanon ki baat kiya karo.hamesha purane hi kyo. isley to koi comments nahi karta hai. samje ki nahi.

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  6. Pahli baar aayi hun aapke blogpe..bada achha laga!
    Sach hai...badi spasht aur damdaar aawaz hai Shamshad begam ki...!

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  7. मयूर भाई
    काबिल-ए-तारीफ़
    अदभुत
    हार्दिक शुभ कामनाए

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  8. मयूर G, आपका ब्लॉग बहुत पसंद आया.
    शमशाद जी के गाने वाकई जादू कर देते हैं.



    "RAMKRISHNA"

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  9. वाह .....बहुत सी जानकारी मिली शमशाद जी के बारे में .....!!

    सभी गीत मेरे पापा को बहुत प्रिय हैं ...गाने का शौक रहा उन्हें पर गायक न बन सके .....!!

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