Monday, May 24, 2010
काइट्स: वो काटा....
रितिक और बारबरा मूरी की इस फिल्म का लोगों को बेसबरी से इंतजार था। जोधा अकबर के बाद रितिक दो साल बाद परदे पर नजर आ रहे हैं वह भी होम प्रोडक्शन में। फिल्म को लेकर चर्चा काफी पहले से चल रही थी क्योंकि इसके साथ रिलायंस पिक्चर्स का नाम जुड़ा था। हॉट सीन की चर्चा जोरदार थी।
फिल्म शुरू होती है मैक्सिको के रेगिस्तान से जहां पर कोई रितिक रोशन (जे) को मरने के लिए छोड़ गया है। फिर कहानी फ्लैश बैक में चली जाती है। जहां पर रितिक अपनी तंगहाली को दूर करने के लिए लास वेगास के एक महा-अरबपति (कबीर बेदी) की बेटी कंगना रानावत से प्यार का झूठा नाटक करता है। यहां पर कुछ समय के लिए कहानी फिर फ्लैश बैक में जाती है और फिर पहले वाले फ्लैश बैक में आ जाती है। (उफ्फ ये फ्लैश बैक और रीयल लाइफ ) फिर.....खलनायक आता है......मारधाड़ के बीच रोमांस.....। शादी....। कहानी जब अपने मुकाम पर पहुंचती है तो आप खुद को ठगा महसूस करते हैं।
फिल्म का पहला हिस्सा बहुत ही धीमा है। फिल्म के आधे डायलॉग या तो अंग्रेजी में है या स्पेनिश में। इसे समझने के लिए नीचे सब टाइटल पढ़ने पड़ेंगे। जब तक आप यह पढ़ेंगे तब तक सीन बदल जाएगा और मजा किरकिरा हो जाएगा। पूरी फिल्म में एक डॉयलाग खालिस हिंदी में है जो बारबरा मूरी पर फिल्माया गया है जिसे सुनकर हंसी आनी ही है (मैं उल्लू की....।) फिल्म दूसरे हिस्से से रोचक होती है। इसमें भी एक्शन सीन का हाथ है। जो पूरी तरह हॉलीवुड की फिल्मों से प्रेरित लगते हैं।
फिल्म की रिलीजिंग के पहले इसे इंटरनेशनल फिल्म के रूप में प्रमोट किया जा रहा था। लेकिन निर्देशक अनुराग बसु ने इसमें बॉलीवुडनुमा तड़का लगा ही दिया है। जहां खलनायक जो हमेशा नायक-नायिका का पीछा करता रहता है। रेल पटरी पर पड़ा महीनों पुराना धूल मिट्टी में पड़ा मोबाइल चालू हालत में रहता है, उसे सिर्फ चार्ज भर करने की देरी है।
पूरी फिल्म में रितिक छाये हुए हैं। चाहे वह एक्टिंग हो, या डांस या फिर एक्शन दृश्य। बारबरा रितिक के सामने कुछ जमी नहीं हैं, उनका अभिनय भी ठीक-ठाक है। हालांकि परदे पर उनकी कैमेस्ट्री देखने लायक है। कंगना रानावत अपने उसी उदासी वाले रोल में है। फिल्म का संगीत बढ़िया हैं। सिनेमैटोग्राफी भी कमाल की है। लेकिन ये सब एक बड़े वर्ग को फिल्म देखने नहीं खींच पाएगी।
कलाकार: रितिक रोशन, बारबरा मूरी, कंगना रानावत, कबीर बेदी, निकोलस ब्राउन।
निर्माता: राकेश रोशन।
निर्देशक: अनुराग बसु।
संगीत: राकेश रोशन।
सिनेमैटोग्राफी: अयंका बोस
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फिल्म की अच्छी समीक्षा। आपने यह नहीं बताया कि रितिक और बारबरा के बीच फिल्माए गए गर्मागर्म दृश्य हैं या नहीं। हां यह भी बताइए कि फिल्म देखी जाए कि नहीं।
ReplyDeletehttp://udbhavna.blogspot.com/
मुझे स्पेनिश आती है| कल मैंने इंटरनेट पर यह फिल्म देखी| मुझे बहुत पसंद आई | खास कर एक्शन सीन |
ReplyDeleteमेरे हिसाब से बारबारा ने अपना काम बखूबी किया है| मेक्सिकन दृश्य बहुत जीवंत बन पड़े हैं|
बढ़िया समीक्षा!
ReplyDeleteआप की रपट एक दम बेहतरीन
ReplyDeletehmm..abhi to film dekhna baki hai ...
ReplyDeleteअब नहीं देखूंगा काइट्स।
ReplyDeleteफिल्म कोई ख़ास प्रभाव नही छोड़ पा रही है .... कामयाब नही होगी ...
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