Ek Nazar

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Thursday, April 29, 2010

अकेले पड़ गए शंकर




कल की पोस्टिंग से आगे।
फिल्म बरसात का हिंदी फिल्म में बहुत महत्व है। शंकर जयकिशन ने जहां इसी फिल्म से करियर की शुरूआत की वहीं गीतकार शैलेंद्र और जसरत जयपुरी और अभिनेत्री निम्मी का भी फिल्मी दुनिया में पदार्पण हुआ। बरसात फिल्म के बाद शंकर और जयकिशन की जोड़ी ने पूरी फिल्मी दुनिया में धूम मचा दी। इनमें से कुछ है बरसात मंे हम से मिले तुम सजन (बरसात 1949) आवारा हूं या गर्दिश में हूं आसमान का तारा हूं (आवारा 1951) ऐ मेरे दिल कहीं और चल गम की दुनिया से दिल भर गया (दाग 1952) प्यार हुआ इकरार हुआ है, मेरा जूता है जापानी, इचक दाना बिचक दाना, (श्री 420-1955) जहाँ मैं जाती हूॅ वहीं चले आते हो (चोरी-चोरी 1956) सब कुछ सीखा हमने ना सीखी होशियारी (अनाड़ी 1959) अजीब दास्तां है ए कहाँ शुरू कहाँ खतम (दिल अपना और प्रीत पराई 1960) चाहे कोई मुझे जंगली कहे (जंगली 1961) बोल राधा बोल संगम होगा कि नहीं, मंै का करू राम मुझे बुडढा मिल गया (संगम 1964) सजन रे झूठमत बोलो ( तीसरी कसम 1967) मैं गाऊं तुम सो जाओ (ब्रह्मचारी 1968) लिस्ट और भी लंबी है। 1971 में जयकिशन की मौत के बाद शंकर ने अकेले ही संगीत देना शुरू किया। लेकिन फिल्मों में शंकर जयकिशन नाम जाता था। कारण दोनों ने एक दूसरे वादा किया था कि अगर करियर के दौरान किसी की मौत हो जाती है तब भी नाम दोनों के ही जाएंगे। शंकर तो अकेले संगीत देते रहे लेकिन जिन फिल्मों में उन्होंने संगीत दिया वे बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह पिट गईं। ऐसा कहा जाता है कि उन फिल्मों का संगीत भी काफी मधुर था। शंकर ने इसके बाद 1975 में संन्यासी फिल्म का संगीत दिया जो काफी लोकप्रिय हुआ। इसके भी कुछ फिल्मों जैसे पापी पेट का सवाल है, गरम खून, चोरनी, ईंट का जवाब पत्थर से में संगीत दिया। हालांकि इन फिल्मों को आशातीत सफलता नहीं मिल सकी।
1978 में राज कपूर की फिल्म सत्यम शिवम सुंदरम् के लिए शंकर को अप्रोच किया जाना था लेकिन मुकेशजी ने लक्ष्मीकांत प्यारेलाल का उछाल दिया और शंकर इस फिल्म से आउट हो गये। इसके बाद राज कपूर अपनी एक और फिल्म परमवीर चक्र के लिए शंकर जो लेना चाहते थे लेकिन बदकिस्मती से यह फिल्म का प्रोजेक्ट पूरा ही नहीं हो पाया और शंकर की वापसी फिर आरके बैनर में कभी नहीं हुई। बरसात से हुई शुरूआत का अंत ऐसा होगा किसी ने सोचा भी न होगा।
बात 26 अप्रैल 1987 की है। जब हिंदी फिल्मों का यह चमकता सितारा हमेशा के लिए अस्त हो गया। उनकी मौत को न मीडिया ने तवज्जो दी और न फिल्मी दुनिया ने।
शंकर और जयकिशन मानो एक दूसरे के लिए ही बने थे। इन दोनों के बारे में कुछ दिलचस्प किस्से प्रचलित हैं।
शंकर ने फिल्म आह में एक मछुआरे की छोटी सी भूमिका अदा की थी तो जयकिशन ने श्री 420 में नादिरा के शराबी पति की।
जाने कहां गए वो दिन (मेरा नाम जोकर) की धुन का इस्तेमाल सबसे पहले राज कपूर की फिल्म आह में बैकग्राउंड के रूप में किया गया था। इसी तरह झूठ बोले कौआ कांटे (बॉबी) की धुन भी बैकगाउंड के रूप में आवारा में सुनाई दी थी।
शंकर ने अइअईया सुकू सुकू में सूकू सूकू शब्द गाया था।
फिल्म संगम के गीत दोस्त दोस्त ना रहा प्यार, प्यार ना रहा और ब्रह्मचारी के गीत दिल के झरोखे में तुझको बिठाकर में प्यानो शंकर ने खुद बजाया था।
शंकर जयकिशन ने मो. रफी की आवाज का इस्तेमाल राजकपूर के लिए बरसात (मैं जिंदगी में हरदम रोता ही रहा हूं और किशोर कुमार के लिए जी हां किशोर दा के लिए फिल्म शरारत अजब है दास्ता के लिए था।)
ओपी नैय्यर ने खुद शंकर को फिल्म इंडस्ट्री का सबसे बड़ा और संपूर्ण संगीतकार का दर्जा दिया था।

समाप्त

5 comments:

  1. क़यामत... वाह! क्या याद दिलाई है मयूर जी... आभार!



    "रामकृष्ण"

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  2. aapne to is sansamaran ke jariyebahut si mashhur filmo ki yaad dila di jo aaj bhi logon ke dilo me mahfuj hai.
    poonam

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  3. Bhai Mayur ji, sirf ek iltija. Aapka lekh Shankar-Jaikishan par padh kar main sirf aapki nimantrit kar sakta hoon

    https://www.facebook.com/groups/shankarjaikishenemperors/

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  4. Ai Ai Yaa gaane mein Suku Suku Shankar ji ne nahin Prayag Raj ne Kiya Tha. Prayag Raj Baad mein film nirdeshak bane. Prayag Raj himself disclosed this in Jaipur talking to HFM fans.

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