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Thursday, June 3, 2010

राज कपूर: शो पूरे तीन घंटे का


भाग 2
अंदाज के बाद राज कपूर ने निर्माण के क्षेत्र में कदम रखा और बरसात (1949), आवारा (1951), श्री 420 (1955), चोरी-चोरी (1956), जिस देश में गंगा बहती है (1960) जैसी सफल फिल्में बनाईं। इन फिल्मों ने राज कपूर को चार्ली चैपलिन वाली भारतीय इमेज दी।
इन सभी फिल्मों में राज कपूर ने आम आदमी का बखूबी चित्रण किया। उनकी फिल्मों में फुटपाथ पर रहने वाले, फेरी लगाने वालों को आसानी से देखा जा सकता था। राज कपूर अक्सर महंगे होटलों और रेस्तरां के बजाए छोटे-छोटे ढाबों पर जाते और लोगों से बात करते और उसी आधार पर अपने फिल्मों के चरित्र गढ़ते। राज कपूर ने हमेशा आम आदमी के लिए फिल्में बनाई। 1960 के दशक में उन्होंने संगम बनाई। जिसके निर्माता-निर्देशक वे स्वयं थे। फिल्म में राजेंद्र कुमार, वैजयंतिमाला और स्वयं राज साहब केंद्रीय भूमिका में थे। यह उनकी पहली रंगीन और नायक के तौर पर आखिरी हिट फिल्म थी।
इसके कुछ सालों के बाद उन्होंने अपनी महत्वाकांक्षी फिल्म मेरा नाम जोकर शुरू की। यह फिल्म करीब छह सालों में पूरी हुई। फिल्म बनाने में काफी पैसा भी खर्च हुआ। लेकिन 1970 में जब फिल्म रिलीज हुई तो यह बॉक्स ऑफिस पर औंधे मुंह गिरी। राज कपूर के लिए यह बहुत बढ़ा झटका था। क्योंकि यह उनका ड्रिम प्रोजेक्ट था। ऐसा कहा जाता है कि फिल्म की कहानी उनके निजी जीवन से प्रेरित थी। फिल्म की लंबाई भी काफी चर्चा का विषय थी। ऐसा कहा जाता है कि जब यह फिल्म बनी तो इसकी लंबाई करीब पांच घंटे की थी। इसकी अंतराष्ट्रीय स्तर पर रिलीज की गई डीवीडी में लंबाई करीब 233 मिनट रखी गई है जबकि भारतीय दर्शकों के लिए इसमें 184 मिनट की फिल्म काट दी गई। यह ऋषि कपूर की पहली फिल्म थी। मेरा नाम जोकर के पिटने से राज कपूर को इतना घाटा हुआ था कि एक बार तो उन्होंने कर्ज चुकाने के लिए आरके स्टुडिओ को नीलाम करने की तक सोच डाली थी।



इतना होने के बाद भी फिल्म को सर्वश्रेष्ठ संगीतकार शंकर जयकिशन, सर्वश्रेष्ठ निर्देशक राज कपूर, सर्वश्रेष्ठ सिनेमैटोग्राफी राध करमरकर, सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायक मन्नाा डे (ऐ भाई जरा देख के चलो...) और सर्वश्रेष्ठ साउंड रिकॉर्डिंग अलाउद्दीन खान कुरैशी को फिल्म फेयर अवार्ड मिला। यह उस समय की मेगा स्टार फिल्म थी, जिसमें राज कपूर के अलावा, धर्मेंद्र, मनोज कुमार, सिमी ग्रेवाल, दारा सिंह, पद्ममिनी, राजेंद्र कुमार, अचला सचदेव, ऋषि कपूर और रशियन आदाकारा सेनिया प्रमुख थीं।
क्रमश:

भाग-1 (यहां पढ़ें)
फोटो साभार: tribuneindia.com

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