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Saturday, June 5, 2010

राजनीति: आधुनिक महाभारत


एक राजनीतिक परिवार के चारों तरफ घूमती 'राजनीति" एक जबरदस्त फिल्म है। फिल्म की कहानी का प्लाट महाभारत से लिया गया है। इसके पात्र, इसकी घटनाएं देखकर महाभारत सीरियल की याद आती है। इसके चरित्र दुर्योधन, धृतराष्ट्र, अर्जुन, श्री कृष्ण, करण, कुंति, जैसे हैं।
फिल्म की शुरुआत चुनावी अखाड़े से होती है। एक शक्तिशाली राजनीतिक परिवार के मुखिया को लकवा मार जाता है। इसके बाद वह अपने भाई (चेतन पंडित) और पृथ्वी (अर्जुन रामपाल ) को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर देता है। यह बात उसके बेटे वीरेद्र (मनोज बाजपेई) को नागवार गुजरती है। वह इसके खिलाफ आवाज उठाता है लेकिन उसका साथ देने वाला कोई नहीं होता। उधर दलितों को उनका वाजिब हक दिलाने के लिए राजनीति में उतरने का ख्वाब देख रहा सूरज (अजय देवगन) की पृथ्वी से मुलाकात होती है और दोनों साथ हो लेते हैं। इस बीच चुनावी बिगुल बज जाता है और पृथ्वी के पिता को भावी मुख्यमंत्री के तौर पर पेश किया जाता है। लेकिन उनकी हत्या हो जाती है। अमेरिका मेंे पढ़ाई कर रहा समर (रणबीर कपूर) अपने भाई की मदद करने के लिए भारत में ही रुक जाता है। इन दोनों की मदद करते हैं नाना पाटेकर (ब्रजगोपाल) जो इनके मुंहबोले मामा हैं। वीरेंद्र अपनी कूटनीति और षड्यंत्र रचकर पृथ्वी को पार्टी से बाहर करवा देता है। पृथ्वी अपने भाई के साथ नई पार्टी बनाकर वीरेंद्र के खिलाफ चुनाव लड़ता है। इस बीच इंदु (कैटरिना कैफ) जो समर से प्यार करती है राजनीतिक मजबूरी में पृथ्वी से शादी कर लेती है। चुनाव जीतने के लिए शुरू होता हिंसा, षड्यंत्रों का दौर। इसमें दोनों परिवार वाले इस हद तक गिर जाते हैं कि दोनों को काफी नुकसान होता है।
प्रकाश झा ने महाभारत को ध्यान में रखकर आधुनिक राजनीति को फिल्माया है। हालांकि जो राजनीतिक लोचलेबाजी, षड्यंत्र दिखाए गए हैं। करीब 2 घंटे 50 मिनट लंबी फिल्म पर प्रकाश झा ने खूब मेहनत की है। हर एक पात्र का चरित्र ऐसा गढ़ा है कि वह अपने आप में दमदार लगता है। हां इतना जरुर है कि फिल्म जब शुरू होती है तो सारे चरित्रों को देखकर उनके नाम याद रखने और कौन किसका भाई है, किसका चाचा, किसका भतीजा या भंाजा यह समझने में दिक्कत होती है। फिल्म में ऐसे कई दृश्य हैं जो महाभारत की याद दिला देते हैं (अगर आपको महाभारत सीरियल याद है तो...।)।
1) जैसे फिल्म के शुरू में भारती (निखीला) एक कॉमरेड के प्यार में डूब जाती है और बिन ब्याही मां बन जाती है। बच्चा पैदा होने पर ब्रजगोपाल उसे बनारस में एक नांव में छोड़ आता है। महाभारत में जब कुंति भगवान सूर्य के वरदान से जन्मे बेटे को जो बाद में कर्ण होता है को नदी में छोड़ आती है।
2) एक दृश्य में सूरज टिकट मांगने के लिए राष्ट्रवादी के कार्यालय जाता है जहां उसे पृथ्वी डांट-डपटकर भगाने की कोशिश करता है तो वीरेंद्र उसे अपनी अप्रोच का हवाला देकर पार्टी की वर्किंग कमिटी में नियुक्ति दिला देता है। महाभारत में भी ऐसा ही दृश्य है जब पाण्डव और कौरव शिक्षा पूरी करके हस्तिनापुर लौटते हैं और रंगभूमि में जब अपनी युद्धकला दिखाने के दौरान कर्ण, अर्जुन को ललकारता है कृपाचार्य उसे युद्ध से मना कर देते हैं और कहते हैं कि रंगभूमि में युद्ध करने के लिए किसी देश का युवराज होना जरुरी है। सो दुर्योधन कर्ण को तत्काल अंग देश का राजा नियुक्त कर देता है।
और भी कई उदाहरण हैं। पात्रों में अजय देवगन कर्ण जैसे, नाना पाटेकर श्री कृष्ण, रणबीर कपूर अर्जुन, मनोज बाजपेयी दुर्योधन, कैटरिना कैफ द्रौपदी जैसे शेड लिये है।

इस फिल्म के सभी कलाकारों ने जबरदस्त अभिनय किया है। कोई कम नहीं है। लेकिन सबसे चौंकाने वाला चरित्र और अभिनय है रणबीर कपूर का। अभी तक चॉकलेटी लवर ब्वॉय की भूमिकाएं करने वाले रणबीर ने आलोचकों के मुंह पर ताले लगा दिए हैं। शांत, गंभीर और शातिर व्यक्ति के रोल में खूब जमे हैं। वहीं नाना पाटेकर हमेशा की तरह हिट हैं।
राजनीति हमेशा प्रकाश झा का पसंदीदा विषय रहा है। फिल्म शुरू होती है कसी हुई पटकथा के साथ मध्यांतर तक फिल्म पूरी रफ्तार से भागती है। लेकिन इसके बाद की विषयवस्तु राजनीति न होकर गैंगवार और हिंसा में तब्दील हो जाती है। फिल्म अंत तक पहुंचने पर एक ढीली हो जाती है। कुछ दृश्य हास्यासपद लगते हैं। खासकर जब अजय देवगन से मिलने उसकी असली मां पहुंची है और कहती हैं कि 'तुम मेरे ज्येष्ठ पुत्र हो।" यह भी महाभारत का ही प्रभाव है।
फिल्म के आखिरी दृश्यों को छोड़ दें तो पूरी फिल्म शानदार बन पड़ी है। कसा हुआ निर्देशन, शानदार डॉयलॉग ('राजनीति में मुरदों को गाड़ा नहीं जाता बल्कि जिंदा रखा जाता ताकि वक्त आने पर वे बोल सकें।" या फिर ये संवाद, 'राजनीति में कोई फैसला सही या गलत नहीं होता, अपने उद्देश्य को सफल बनाने के लिए लिया जाता है। ") के कारण फिल्म को देखा जा सकता है। चूंकि इसकी शूटिंग भोपाल में हुई तो और भी देखना चाहिए।

कलाकार: रणबीर कपूर, अजय देवगन, मनोज बापपेयी, नाना पाटेकर, कैटरिना कैफ, अर्जुन रामपाल, नसीरुद्दीन शाह, सारा थॉमसन केन, दर्शन जरीवाला, चेतन पंडित।
निर्माता: रॉनी स्क्रूवाला, प्रकाश झा।
निर्देशक: प्रकाश झा
सिनेमैटोग्राफी: सचिन कृष्णनन

फोटो: http://www.bollywoodhungama.com/ से साभार

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