कुछ गीत और उनके संयोजन कभी-कभी अचानक याद आ जाते हैं। दूरदर्शन पर गीत और गज़लों से भरपूर एक कार्यक्रम अक्सर रविवार को प्रसारित होता था। यह बात दूरदर्शन के सुनहरे दिनों की है। सुनहरे दिन यानि जब दूरदर्शन पर रामायण, विक्रम बेताल, दादा-दादी की कहानियां, नुक्कड़, खेल-खेल में, हमलोग, बुनियाद जैसे कार्यक्रम आते थे। इसी प्रकार गीत गज़ल के कार्यक्रम, पंकज उद्धास, मनहर, उदित नारायण, अनुराधा पौडवाल, पार्वती खान, कुमार शानू जिनका नाम आज हर कोई जानता है के गीत दूरदर्शन पर गूंजते रहते थे। इन्हीं गीतों में कभी 'शहजादी तरन्नाुम" पिनाज मसानी के गीत भी हुआ करते थे। जरा सोचिए पिनाज मसानी की मदमाती आवाज और ओपी नैय्यरजी का संगीत क्या जादू करता होगा। इन गज़लों में मैं काफी दिनों से ढूंढ रहा था आखिरकार मुझे ये गज़ले इंटरनेट पर मिल गईं। इसे अपलोड करने वाले शख्स (डॉ नाग राव) ने वाकई में वीडियो (रिदम मीट्स गजल एंड ग्लैमर) बनाने में काफी मेहनत की है। नैय्यरजी और पिनाज मसानी के दुर्लभ फोटोग्राफ्स को जोड़ के यह वीडियो अपलोड किया गया है। वीडियो के शुरू के दो मिनट सिर्फ म्यूजिक ही है.....। असल गीत दो मिनट बाद शुरू होता है। इसलिए वीडियो की पूरी तरह बफरिंग हो जाने दें और इस दुर्लभ गज़ल का लुत्फ लें।पिनाज मसानी ने 1981 के आसपास अपनी गायकी शुरू की। उन्होंने करीब भारत की 10 भाषाओं की 50 फिल्मों में गाने गाये। लेकिन उन्हें ज्यादा प्रसिद्धि गज़लों से ही मिली। 1996 में उन्हें उत्तर प्रदेश सरकार ने 'शहजादी तरन्नाुम" के खिताब ने नवाजा।
गीत: दिल के शिकारी
गीत: दिल के शिकारी
गीतकार: नूर देवासी
गायक : पिनाज मसानी
संगीतकार : ओपी नैय्यर
वीडियो: डॉ. नाग राव
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