Ek Nazar

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Sunday, September 19, 2010

रफी साहब और मदन मोहन: अनरिलीज्ड सॉन्ग

मुझे याद एक बार युनुसजी ने अपने ब्लॉग पर कहा था कि किसी महान शख्सियत को याद करने के लिए कोई खास दिन मुकर्रर नहीं हो सकता है। आज मदन मोहन जी का एक गीत सुना तो दिल में कुछ ख्यालात आ गए, सोचा कि आप से भी उसे साझा कर लें। मदन मोहन जैसे संगीतकार बिरले ही होते हैं। फ्लॉप फिल्मों को अपने संगीत के दम पर हिट कराने वाले मदनजी का संगीत आज ज्यादा पंसद किया जा रहा है। यह एक दु:खद पहलु ही है कि मदनजी के संगीत को उस समय ज्यादा तवज्जो नहीं मिल पाई जितनी आज। अपने समकालीन संगीतकारों से अलग काम करने वाले मदन जी की हर रचना और उसकी शब्दावली पर पैनी नजर रहती थी। राजा मेहंदी अली खां जैसे अजीम शायर की संगत उनके संगीत और कालजयी बना दिया। वे पूरी तन्मयता के साथ धुन बनाते, गायकों से रियाज कराते और उनकी यह ऊर्जा रिकॉर्डिंग के बाद तक बनी रहती। गायकों के प्रति हमेशा उनके दिल में सम्मान रहता था, यही वजह है कि लताजी ने एक बार कहा कि दूसरे संगीतकारों ने मुझे गीत दिए लेकिन मदनजी ने मुझे संगीत दिया।



मदन मोहन के बेटे संजीव कोहली ने शायद 2009 में उनके ऐसे गीतों की सीडी लॉन्च की जो कभी रिलीज ही नहीं हुए। रफी साहब, लताजी, तलत महमूद, आशाजी ने मदनजी के इन गीतों को अपनी आवाज दी। इनमें कुछ गीत को इतने शानदार है कि बस इन्हें सुनते जाइए...। मुझे यह समझ में नहीं आया कि इन गीतों तो अब तक किसी फिल्मकार ने तवज्जो क्यों नहीं दी। क्यो नहीं किसी फिल्म में ये गीत हमे सुनाई दिए।



ख़ैर मदनजी के उसी अल्बम से से रफी साहब के गाए दो गीतों का जिक्र मैं करना चाहूंगा। एक गीत है कैसे कटेगी जिंदगी तेरे बगैर। दूसरा है आशाजी के साथ धड़कन है तू मेरे दिल की। पहले गीत में स्थिरता है, शब्द सुंदर हैं, संगीत किसी मस्त झरने की तरह बहता जाता है। जबकि दूसरा गीत पाश्चात्य शैली का है। गाने की बीट्स शानदार है और रफी साहब और आशाजी ने इसे अपने चिर-परिचीत अंदाज में गाया है।

फोटो मदन मोहन की अधिकारिक वेब साईट से साभार. मदनजी के अन्य गानों के क्लीक करें.

1 comment:

  1. Rafi,Madan mohan jaise fankaar na bhooto na bhavishyati ...

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