किशोर दा जैसी शख्सियत हमारी फिल्मी दुनिया में दोबारा होना नामुमकिन है। वे जितने अच्छे गायक थे उतने ही अभिनेता, कमेडियन और संगीतकार भी। पुरानी पीढ़ी के साथ नई पीढ़ी भी उनके गीतों की दीवानी है। तभी उनका हर इक गीत आज भी दिल के करीब लगता है। अटपटी बातों के लिए मशहूर किशोर दा अक्सर अपना नाम उल्टा बताते थे यानि रशोकि रमाकु। इक बार इंदौर में लता मंगेशकर अवार्ड के लिए उन्हें इंदौर बुलाया गया। तो उन्होंने आयोजकों के ख्वाहिश रखी वे एयरपोर्ट से स्टेडियम तक बैलगाड़ी से जाना चाहते हैं। सुरक्षा कारण उनकी यह मुराद पुरी नहीं हो सकी।
बचपन में रेडियो पर गाना सुनकर उन्होंने गायकी में महारत हासिल कर ली थी। वे अक्सर बाथरूम में जोर जोर से गाया करते थे। जैसे रफी साहब शम्मी कपूर की आवाज बन गए थे वैसे ही किशोर दा राजेश खन्नाा की। राजेश खन्नाा, किशोर कुमार और आरडी बर्मन का ऐसा जादू चला कि राजेश खन्नाा सुपर सितारा बन गए। वे हर स्टेजशो से पहले कहते थे 'खंडवे वाले किशोर का सबको राम-राम"।
किशोर दा अक्सर कहा करते थे कि 'दूध-जलेबी खाएंगे और खंडवा में बस जाएंगे।" यही कहते-कहते 13 अक्टूबर 1987 को वे इस दुनिया को छोड़ कर हमेशा-हमेशा के लिए चले गए।
आज उनकी याद में मैंने यूट्यूब से नॉन फिल्मी गाना उड़ाया उसे ही सुनवा रहा हूं।
Kishor Kumar ke bare me kaha jaa sakta hai," Na bhooto na bhavishyati!"
ReplyDeleteYahi baat Lata ji ke bare me bhi kahee jaa sakti hai!